Friday, December 28, 2012

saaya

साया 


साये और रोशनी में
कुछ अटूट सा नाता है
रौशनी के पहलू में
साया सुख पाता  है

चुपचाप चलता है
ख़ामोशी में रहता है
पत्थर या पानी
दोनों पर ठहरता है

जब वक़्त आता है
बिजली की रफ़्तार से
तेज दौड़ लगाता है
ओलंपिक्स में गोल्ड मैडल पाता है 

साया साथ देता है
बदले में कुछ नहीं मांगता
हाँ बस इतना जरूर है
साया भी वक़्त के हाथों मजबूर है

घनी काली रातों के सायों में
छुप सा जाता है
रहता फिर भी साथ है
पर नज़र नहीं आता है

किसलय 2012






No comments:

Post a Comment